लेखनी कहानी -20-Sep-2022 भाग १ मां बाप का दिल भाग २ भाग ३ कैलाश पर बधाई ४-मां वरदायिनी
मां वरदायिनी
वर मुद्रा हे मां वरदायिनी श्वेतांबरी मां हे श्वेता श्री।
तुझको ध्याऊं मैं अज्ञानी ज्ञान और ममता की दानी,
मन का दीप हे मात जला दे तू जगदंबा तू कल्याणी।
वर मुद्रा हे मां वरदायिनी श्वेतांबरी मां हे स्वेता श्री।
मम ह्रदय का तमस मिटा दे, ज्ञान की ज्योति दिल में जगा दे।
बुद्धि विवेक के पुष्प खिला दे,तू ममतामई मात भवानी।
वर मुद्रा है मां वरदायिनी श्वेतांबरी मां हे स्वेता श्री।
कर में पुस्तक वेद धारिणी कमल आसनी सुगम भाषिनी।
चहुं दिशि बहे ज्ञान रस गंगा सप्त सुरों की मात रागिनी।
बर मुद्रा मां वरदायिनी श्वेताम्बरी मां हे श्वेता श्री।
कर में माला नैनों में ज्वाला पीतांबरी मां ऋतु फल खाती।
'अलका' के मन वचन बसी है श्वेत हंस पे विराजे मां ज्ञानी।
वरमुद्रा हे मां वरदायिनी श्वेतांबरी हे मां श्वेता श्री।
अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।
Gunjan Kamal
05-Oct-2022 07:37 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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आँचल सोनी 'हिया'
03-Oct-2022 11:08 PM
Bahut khoob 💐👍
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Palak chopra
03-Oct-2022 10:50 PM
Very nice 👍🌺
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